चैत्र नवरात्रि : दिव्य स्त्री ऊर्जा का उत्सव।

चैत्र नवरात्रि

वसंत ऋतु के दौरान मनाया जाने वाला त्योहार है जिसे चैत्र नवरात्रि कहते है। यह एक महत्व पूर्ण हिंदू त्योहार है।जो भारत और दुनिया भर के भक्कतों के लिए गहरा सांस्कृतिक ओर आध्यात्मिक महत्व रखता है।

यह नौ दिवसीय त्योहार , जिसे वनसंत नौरात्री के रूप मे भी जाना जाता है। हिंदू चंद्र माह चैत्र ( मार्च अप्रैल )मे आता है और भगवान राम जी जयंती राम नवमी के साथ समाप्त होता है । नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक अलग रूप की पूजा करने , उनके दिव्य आशीर्वाद का आव्हाहन करने और बुराई पर अछाई की जीत का जशन मनाने के लिए समरप्रीत है ।

उत्पत्ति और महत्व –

चैत्र नवरात्रि की क्षेत्रों मे , विशेषकर उत्तर भारत मे , चंद्र कैलंडर के अनुसार हिंदू नव वर्ष की शुरुवात का प्रतीक है। इस त्योहार का नाम चैत्र महिनेसे लिया गया है ,और नवरात्रि का संस्कृत मे अर्थ नौ रातें है। हिंदू पोराणिक कथाओं के अनुसार , यह शुभ अवधि नौ दिनों ओर रातों को चले भयंकर युद्ध के बाद महिस रायक्षश महिशासुर पर देवी दुर्गा की जीत की याद दिलाता है। ऐसा माना जाता है की नवरात्रि के दोरान , दिव्य स्त्री ऊर्जा ( शक्ति ) अपने चरम पर होती है । और भक्त बड़ी भक्ति के साथ देवी दुर्गा और उनके विभीन रूपों की पूजा करते है ।

अनुशठान और परम्पराए –

यह त्योहार घाटस्थापना के साथ शुरू होता है । जो देवी की उपस्थिति का प्रतीक एक पवित्र बर्तन स्थापित करने की रस्म है । भक्त नवरात्रि के दोरान उपवास करते है ।अनाज , मांससहरी भोजन, प्याज, लहसुन और शराब से परहेज रहते है। वे दैनिक प्रार्थना करते है। देवी दुर्गा को समरप्रीत भजन और मंत्रों का पाठ करते है । और धार्मिक सभाओं और कीर्तन मे भाग लेते है।

नवरात्रि का हर एक दिन देवी दुर्गा के लिए एक अलग रूपसे जुड़ा है , जीने नव दुर्गा के नाम से जाना जाता है –

दिन 1 ( प्रतिप्रदा ) -शैलपुत्री ( पहड़ों की बेटी )

दिन 2 ( द्वितीया ) – ब्रमहचारिणी ( तपस्वी )

दिन 3 ( तृतीया ) – चंद्रघंटा ( भयंकर देवी )

दिन 4 ( चतुर्थी ) – कुष्मांडा ( ब्रम्हांड की निर्माता )

दिन 5 ( पंचमी ) – स्कंदमाता ( स्कंद या कार्तिकेय की माता )

दिन 6 ( षशठी ) – कात्यायनी ( योद्धा देवी )

दिन 7 ( सप्तमी ) – कालरात्रि ( अंधेरी रात )

दिन 8 ( अष्टमी ) – महागौरी ( शांत देवी )

दिन 9 ( नवमी ) – सिद्धिदात्री ( वरदान दने वाली )

पूरे भारत मे उत्सव –

नवरात्रि भारत के विभिन्न हिस्सों मे बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है । गुजरात ओर महाराष्ट्र जैसे राज्यों मे , अलग गरबा और डांडिया रास नृत्य खेले जाते है , जहा परंपारिक पोशाक पहने पुरुष और महिलायें धुनों पर पर नृत्य करते है। पचींम बंगाल मे , नवरात्री दुर्गा पूजा के साथ मेल खाती है। एक भव्य त्योहार जिसमे पंडालों मे देवी दुर्गा की खूबसूरती से तैयार कीगई मूर्तियाँ प्रदर्शित की जाती है ।

नवरात्रि भोजन का महत्व –

नवरात्रि के दोरान आहार संबंदी प्रतिबंधों के कारण कुट्ट का आटा, सिंघाड़े का आटा और साबूदाना जैसे सामग्री का उपयोग करके विशेष व्यंजन तयार किए जाते है। ये उपवास खाद्य पदार्थ न केवल पोस्टिक है , बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी महत्व पूर्ण है , जो त्योहार के दोरान शुद्धता और भक्ति पर जोर देते है।

निष्कर्ष –

चैत्र नवरात्रि आध्यात्मिक नवीनीकरण , भक्ति और स्त्री शक्ति के उत्सव का समय है । यह बुराई पर धार्मिकता की जीत और सकारात्मक ऊर्जा के उद्भव का प्रतीक है जो वसंत ऋतु की शुरुवात का प्रतीक है । यह त्योहार उन भक्तों के बीच की एकता , खुशी ओर सामुदाई की भावना को बढ़ावा देता है जो देवी दुर्गा की दिव्य अभिव्यकती का सन्मान करने के लिए एक साथ आते है । चैत्र नवरात्रि हम सभी को अपने जीवन मे साहस , करूणा और धार्मिकता के मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करें।

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